यूपीएस और एनपीएस के बीच फंसे कर्मचारी, पुरानी पेंशन की वापसी पर ज़ोर

यूपीएस एनपीएस से भी खतरनाक, सिर्फ ओपीएस चाहिए: विजय कुमार बंधु

यूपीएस एनपीएस से भी खतरनाक, सिर्फ ओपीएस चाहिए

उन्नाव के निराला प्रेक्षागृह में अटेवा संगठन के बैनर तले आयोजित पेंशन संगोष्ठी में सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की जोरदार मांग की। संगोष्ठी में अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष और संयोजक विजय कुमार बंधु ने कहा कि यूपीएस (एकीकृत पेंशन योजना) एनपीएस (नई पेंशन योजना) से भी ज्यादा खतरनाक है और कर्मचारियों को केवल पुरानी पेंशन योजना ही स्वीकार है।

मंगलवार को आयोजित इस संगोष्ठी में बंधु ने कहा कि सरकार ने पहले एनपीएस की खूब प्रशंसा की थी, लेकिन अब इसे नए रूप में यूपीएस के तहत पेश किया जा रहा है, जो कर्मचारियों के लिए और भी अधिक नुकसानदायक साबित हो रहा है। उन्होंने बताया कि यूपीएस में जीएफ (गारंटी फंड) की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि पहले 20 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलती थी, जिसे अब 25 साल कर दिया गया है। इसके अलावा, यूपीएस में कर्मचारियों को अपने वेतन का 10 प्रतिशत योगदान देना होता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई योगदान नहीं था।

संगोष्ठी में राजकीय नर्सेज संघ उत्तर प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी अशोक कुमार ने भी एनपीएस और यूपीएस की आलोचना करते हुए कहा कि जिस तरह सरकार को किसान बिल, नागरिक सुरक्षा बिल और 2000 के नोट वापस लेने पड़े थे, उसी तरह एनपीएस और यूपीएस को भी वापस लेना पड़ेगा। उन्होंने एकीकृत पेंशन योजना को अव्यवहारिक बताया और पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को दोहराया।

इस संगोष्ठी में विभिन्न शिक्षक और कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया और पुरानी पेंशन बहाली के लिए एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने की बात कही। सभी ने एक स्वर में पुरानी पेंशन को कर्मचारियों के भविष्य के लिए जरूरी बताया और सरकार से इसे वापस लाने की मांग की।

अटेवा संगठन के नेतृत्व में इस आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति पर भी चर्चा की गई, ताकि सरकार पर पुरानी पेंशन बहाल करने का दबाव बनाया जा सके।

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